पैरालिसिस के बारे में कुछ भी जानकारी देने के पहले आपको बता दूं कि योग Yoga for Paralysis से आप पैरालिसिस को मात दे सकते है । ऐसा करने वाले अनेक लोग है जिन्होंने नियमित योग करके पैरालिसिस को हराया है ।
लेकिन सबसे बड़ा नाम है बाबा रामदेव जी का दुनिया मे आज के समय योग विद्या में उनकी तरह प्रख्यात कोई योग गुरु नही लेकिन क्या आप जानते है कि बाबा रामदेव स्वयं पैरालिसिस से पीढित रह चुके है ।
उन्होंने योग Yoga के माध्यम से ही पैरालिसिस Paralysis को हराया था । उनके शरीर पर आज भी पैरालिसिस के कुछ निशानों को देखा जा सकता है ।पैरालिसिस के अटैक के बाद बाबा रामदेव बिस्तर से उठ नहीं सकते थे। यह असहनीय दर्दनाक था ।
कोई और होता तो हार मान जाता लेकिन उन्होंने किताबों से दोस्ती कर ली। इसी दौरान एक दिन उनके हाथ योग की किताब लगी जिसके पहले पन्ने पर लिखा था कि योग करने से मन और तन पर आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है।
उन्होंने किताब पढ़ने के बाद लगातार योग Yoga करना शुरू किया और पैरालिसिस Paralysis पर काबू पाया।जब कोई व्यक्ति योग के माध्यम से इतनी बड़ी बीमारी को मात दे सकता है तो उसके मन मस्तिष्क में यही विचार आता है.
कि अब योग के माध्यम से मेरे जैसे अनेक पीढ़ितो की मुझे मदद करना है बस तब से आजतक बाबा रामदेव ने पीछे पलट कर नही देखा ।
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पैरालिसिस (पक्षाघात ,लकवा )-
अकेले बाबा रामदेव नही ओर भी लोग है स्तिफ़ान एस्केल एक फोटो जर्नलिस्ट हैं। क़रीब 40 साल के थे जब अचानक गंभीर रूप से बीमार पड़ गए। शरीर के नीचे के हिस्से में लकवा मार गया ।
एस्केल घूमने-फिरने के शौकीन इंसान थे। ज़िंदगी बिस्तर या व्हीलचेयर पर निठल्ले बिताना उन्हें क़तई पसन्द नहीं था। स्तिफ़ान एस्केल जब फ्रांस के एक प्रसिद्ध अस्पताल ‘ओस्पिताल दे ला सालपेत्रियेर‘ में अपना इलाज करवा रहे थे ।
तो वहां के एक डॉक्टर जौं-पियेर फ़ार्सी ने उन्हें सलाह दी कि वह मेडिकल ट्रीटमेंट से ठीक नहीं हो सकते, योग को अपनाकर नियमित योग करें किसी डॉक्टर के मुहं से यह सुनना उनके लिए आश्चर्य जनक था ।
उन्होंने योग Yoga को अपनाने की सोची ओर प्रसिद्ध योग गुरु अयंगर जी की लिखी किताब ने उनका जीवन बदल दिया । अयंगर जी द्वारा बताये गए तरीको से उन्होंने लकवे Paralysis को मात दे दी ।
योग के चमत्कार को स्वयं महसूस करने के बाद एस्केल ने लगभग आधी दुनिया की यात्रा की। योग से बीमारियों को हराने वालो की खोजबीन की 10 साल की यात्रा करके ऐसे लोगो के अनुभव पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई।
नाम है ‘योगा : डी क्राफ्ट दे लेबंस‘। हिंदी में इसका मतलब है ‘योगः जीवनदायी शक्ति’ जो युरोप के सिनेमाघरों में बहुत रुचि से देखी गयी ।
लगातार योग अभ्यास से लकवे के मरीज ठीक हो जाते है लेकिन ध्यान रहे 2 या 4 दिन योग करने से लाभ प्राप्त नही होगा बल्कि लगातार मेहनत करनी होगी उसके बाद ही धीरे धीरे परिणाम प्राप्त होंगे ।
लकवे के मरीज के लिए सबसे कठिन होता है बिना किसी सहारे खुद को संभाल पाना ।किसी की पूरी बॉडी पैरालिसिस का शिकार हो जाती है तो किसी की आधी बॉडी इस बीमारी के चपेट में आ जाती है। कुछ लोगों के शरीर के किसी विशेष अंग को भी पैरालिसिस हो जाता है।
अधिक टेंशन लेने से या अचानक कोई सदमा लगने से भी व्यक्ति पैरालिसिस Paralysis का शिकार हो जाता है। क्योंकि जब अचानक कोई बड़ी घटना हो जाए, तो दिमाग पर इसका असर हो जाता है जिसकी वजह से तंत्रिका तंत्र नष्ट हो जाता है।
स्वयं के काम स्वयं कर पाना यदि लकवे के मरीज Paralysis होकर आप स्वयं को ठीक करना चाहते है तो आपके पास 2 बेहतर उपाय है एक योग Yoga एवं फिजियोथेरेपी चुकी फिजियोथेरेपी सेंटर जाना मुश्किल होता है और फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ को घर बुलाना बेहद महंगा होता है ।
इस कारण कम खर्च में बेहतर समाधान के लिए योग एक बेहतर विकल्प है । क्रूरतम बीमारी में से एक लकवा जो इंसान को असहाय बना देती है जिसके बाद रोगी अपने दैनिक दिनचर्या के काम के लिए भी मदद का मोहताज हो जाता है ।
अंग्रजी दवाओं में लकवे का कोई इलाज तो नही होता लेकिन साइड इफेक्ट की चपेट में जरूर रोगी आ जाता है । अंग्रेजी दवाओं के साइड इफेक्ट्स के कारण लीवर, किडनी, हार्ट आदि की कई नयी समस्याएं जन्म ले लेती है जिससे पूरा शरीर जर्जर, कमजोर, निस्तेज व बूढ़ा दिखने लगता है ।
लकवा दो तरह से मरीज को प्रभावित करता है शारीरिक और मानसिक। ऐसे में मरीजों को मानसिक गतिविधियां जैसे बोर्ड और कार्ड गेम, अंकों को जोडऩा, ब्लॉक को निकालना
जैसे खेल या बागवानी, योगा,नृत्य जैसी शारीरिक क्रियाएं कराई जाती हैं।इससे मरीज के ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसी कई यौगिक क्रियाएं हैं जो मस्तिष्क को उत्तेजित करती हैं।
लकवा रोग से पीड़ित व्यक्ति को अपनी रीढ़ की हड्डी को ठीक बनाए रखने की भी कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि मस्तिष्क की इंद्रियां यहीं से हो गुजरती हैं।
यहां रोजाना गर्म पानी से सिकाई करनी चाहिए। हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में लकवा होने की संभावना बढ़ जाती है । ब्लड प्रेशर में योग अमृत के समान होता है ।
इसके अलावा खून का थक्का जमना, स्ट्रोक, बैड कॉलेस्ट्रॉल का बढ़ना आदि इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार पैरालिसिस Paralysis अर्थात लकवा या पक्षाघात एक वायु रोग है, जिसके प्रभाव से संबंधित अंग की शारीरिक प्रतिक्रियाएं, बोलने और महसूस करने की क्षमता खत्म हो जाती हैं। पैरालिसिस अटैक से बचने के लिए नियमित योग Yoga को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेना चाहिए ।
पैरालिसिस (पक्षाघात ,लकवा ) का कारण :
सिर्फ गलत लाइफस्टाइल या तनाव के कारण ही यह समस्या नहीं होती, बल्कि कई अन्य समस्याएं जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, नशीले पदार्थों का सेवन,हृदय संबंधी स्वास्थ्य समस्या, मोटापा व अधिक उम्र के कारण पैरालिसिस होने का खतरा काफी अधिक रहता है।
युवावस्था में अत्यधिक भोग विलास, आलस्य आदि से स्नायविक तंत्र धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है, इस रोग के होने की आशंका भी बढ़ती जाती है। सिर्फ आलसी जीवन जीने से ही नहीं, बल्कि ज्यादा एक्टिव होना भी इसका बड़ा कारण है ।
अति भागदौड़, क्षमता से ज्यादा परिश्रम या अति व्यायाम, कम नींद का होना ,बिना डॉक्टरी सलाह के मस्तिष्क सम्बंधित दवाओं का अधिक उपयोग ,अति आहार आदि कारणों से भी लकवा होने की संभावना बढ़ जाती है ।
प्राकृतिक चिकित्सा में बताये गए उपाय -:
पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नींबू पानी का एनिमा लेकर अपने पेट को साफ करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को ऐसा इलाज कराना चाहिए जिससे कि उसके शरीर से अधिक से अधिक पसीना निकले।
- हठ योग का प्रयोग कर आसानी से पसीना निकाला जा सकता है ।
- तुम्बे के बीजों को पानी में पीसकर लकवाग्रस्त अंग पर लेप लगाने से लाभ होता है।
- लकवा से पीड़ित व्यक्ति को पांच लहसुन की कलियां पीसकर इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए ।
- लकवा रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन भापस्नान करना चाहिए ।
- गर्म गीली चादर से अपने शरीर के रोगग्रस्त भाग को, यानि कि जिस भाग को लकवा हुआ है ।
- उसकी सिकाई करने से बहुत लाभ होता है ।
- गर्म पानी के बड़े कपड़े से
- केवल उसी भाग को ढकना चाहिए।
यह करने के बाद अंत में कुछ देर के बाद उसे धूप में बैठना चाहिए। उसके रोगग्रस्त भाग पर धूप पड़ना बेहद जरूरी है।
लकवा रोग को काटने के लिए लकवा रोग से पीड़ित रोगी के पेट पर गीली मिट्टी का लेप करना चाहिए। इसके उसके बाद रोगी को कटिस्नान कराना चाहिए।
यदि यह इलाज प्रतिदिन किया जाए तो बहुत लाभदायक होता है । (प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के जानकारों की देखरेख में या उनके मार्गदर्शन में )
लकवा रोग से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त पीले रंग की बोतल का ठंडा पानी दिन में कम से कम आधा कप 4-5 बार पीना चाहिए तथा रंग थैरेपी के तहत लकवे से प्रभावित अंग पर कुछ देर के लिए लाल रंग का प्रकाश डालना चाहिए (विशेषज्ञों की देखकर में )लकवा ग्रस्त हिस्से पर गर्म या ठंडी सिंकाई करनी चाहिए।
इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से रोगी का लकवा रोग कुछ ही दिनों में ठीक तक हो जाता है।
लकवे के मरीजो के लिए डाइट चार्ट –
लकवाग्रस्त रोगी के लिए गाय या बकरी का दूध व घी सादा, सुपाच्य, पौष्टिक आहार लें। चोकरयुक्त आटे की रोटी, पुराना चावल, दलिया तथा खिचड़ी का सेवन करें।
- अंजीर, अंगूर, आम, सेब, नाशपाती, पपीता, परवल, तोरई, करेला, बथुआ तथा मेथी का सेवन किया जा सकता है।
- तेल, घी, तली-भुनी तथा मिर्च-मसालेदार चीजों के सेवन से बचें।गर्म जल से स्नान करना व गर्म पानी पीना पथ्य यानि फायदेमंद है।
एवोकैडो (नाशपाती की आकार का एक उष्ण कटिबन्धीय फल) स्वास्थ्य वर्धक पोषक तत्वों से भरपूर होता है, इस फल को निम्न कैलोरी और उच्च पोषक तत्वों के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है।
डाइट प्लान लकवा रोगीयों के लिए diet plan for Paralysis -:
- सुबह का नाश्ता -:
हल्का नमकीन दलिया /उपमा (सूजी) /कार्नफ्लेक्स /अंकुरित अनाज (स्प्राउट्स) / 2 पतली रोटी ( मिश्रित अनाज आटा ) + 1 कटोरी सब्जी + फलो का सलाद (सेब, पपीता, चेरी, तरबूज आम, अनार, फालसा, अंगूर)
- दिन का भोजन -:
2-3 पतली रोटियां (मिश्रित अनाज आटा ) + 1 कटोरी पुराना चावल (मांड रहित ) + 1 कटोरी हरी सब्जिया (उबली हुई ) + 1 कटोरी दाल (पतली ) + 1 प्लेट सलाद
- शाम का जलपान -:
1 कप हर्बल चाय या सब्जियों का सूप
- रात्रि का भोजन -:
2-3 पतली पतली रोटियां (मिश्रित अनाज आटा) + 1 कटोरी हरी सब्जियां (रेशेदार + 1 कटोरी दाल (पतली )
- रात्रि सोने से पूर्व (30 मिनट पहले )
1 गिलास दूध के साथ अश्वगंधा चूर्ण
- पैरालिसिस को ठीक करने वाले योग आसान एवं प्राणायाम -:
लकवा का परम लाभकारी इलाज है,अनुलोम विलोम प्राणायाम व चन्द्रभेदी प्राणायाम अनुलोम विलोम प्राणायाम शरीर की 72000 नाड़ियों में मौजूद रुकावटों को दूर करते हुए उनमे प्राण की गति को ठीक करता है ।
इसे नाड़ी शोधन के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है ।यदि लकवे से पीड़ित व्यक्ति के अनुलोम विलोम के दौरान दोनों हाथों का प्रयोग मुश्किल होने पर एक हाथ से अनुलोम विलोम किया जा सकता है ।
जिन रोगियों के दोनों हाथ नही उठते वे वर्चुअल रूप से कल्पना करते हुए अलग अलग समय मे अलग अलग नासिका से सांस को ले एवं छोड़ सकते है ।
बिना हाथ का इस्तेमाल किये हुए सिर्फ मानसिक ध्यान से अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से भी, अनुलोम विलोम प्राणायाम के समान ही लाभ निश्चित मिलता है ।
अगर कोई लकवा ग्रस्त व्यक्ति बैठ कर अनुलोम विलोम प्राणायाम करने में सक्षम ना हो तो वह पीठ के बल सीधे आसान बिछाकर लेटकर भी इस प्राणायाम को कर सकता है ।
लेकिन ध्यान रहें गर्दन एकदम सीधी होनी चाहिए । कुम्भक के दौरान यह मानसिक रूप से यह सोचना चाहिए कि प्राण वायु लकवा ग्रस्त अंग में जाकर, उस अंग को तेजी से ठीक कर रही है ।
लकवा किसी भी अंग में तभी मारता है जब उस अंग में ब्लड तो पहुचता हैं लेकिन प्राण वायु समुचित मात्रा में नहीं पहुंच पा रही होती है । लकवे का यही एक बड़ा कारण होता है अनुलोम विलोम से यह अवरोध दूर होता है ।
- योगनिद्रा-
पक्षाघात(लकवे) के रोगी को प्रतिदिन दस-दस मिनट के लिए तीन-चार बार योग निद्रा का नियमित अभ्यास करना चाहिए। इसके अभ्यास से रोगी को नया जीवन मिलता है। यह अभ्यास किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए।
लकवे को मात देने में सहायक योग आसान Yoga for Paralysis -:
- पर्वतासन
- सुखासन
- सिद्धासन
- बालासन
- मर्जरी आसान
- विरासन
- सिद्धासन
- मण्डूक आसान
- ताड़ासन
- नटराजसन
- अर्ध मत्स्येंद्र आसान
लेखन -: योगाचार्य डॉ.मिलिन्द्र त्रिपाठी (योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ )